राशन कार्ड

राशन कार्ड

     काफी दिन पुरानी समस्याओं का राशन कार्ड लेकर एक भूखा मजदूर सस्ते समाधान की दुकान पर पहुंच कर, वहां लगी लंबी कतार में, किसी अध्यापक द्वारा प्रताड़ित छात्र सा ,खड़ा हो गया !महंगाई सी जीवंत कतार पर जब उसने सैनिटाइजर का छिड़काव कर रहे फब्बारे सी, दृष्टि दौड़ाई तो पाया कि उसमें एक से बढ़कर एक, थाने में लाए गए गुनहगार जैसे ,अपनी अपनी समस्याओं का राशन कार्ड पकड़े खड़े हैं !..कोयला खानों से सीधे चले आ रहे सजीव कंकाल, रेल की पटरी पर रेगमाल की तरह प्रयोग होने वाली सूखी चमड़ी वाली नीली वर्दियां, मोटे लेंस का चश्मा चढ़ाए ,राष्ट्रीय आदर्श ढोते प्राथमिक स्कूल के अवकाश प्राप्त अध्यापक!.. मंदी के कारण कारखानों के अंतहीन लाकडाउंन से जूझते श्रमिक!..  इन सभी के बीच स्वयं को लाकर अब उसका यह विश्वास, फेविकोल के जोड़ सा पक्का हो चला था कि वह अपने ही वार्ड की दुकान पर आया है और दूसरों की तरह उसे भी नंबर आने पर राशन कार्ड की यूनिट के हिसाब भर समाधान मिल जाएगा!..
                    जेठ की चिलचिलाती ,पसीने से लथपथ, ,चौंधियाती दोपहरी में उस कतार को देख, किसी को भी, चूने से पुती दीवार पर, अंधे गंतव्य की ओर, रेंगती चीटियों की कतार जैसा भ्रम आसानी से हो सकता था!.. मूल्य सूचकांक सा शनैः शनैः आगे सरकते, उसने गौर से देखा कि जिन लोगों का नंबर आता जाता ,वे, बगल में राशन कार्ड दबाए अपने-अपने थैलों में   कुछ और ही चीज भरकर, न्यायालय से दोषी करार दिए गए निरपराधी की तरह, लौट रहे हैं!.. जिज्ञासा को, लघु शंका के तीव्र उद्वेग की तरह, जब वह अधिक देर तक न दवा सका तो अंततः एक व्यक्ति को हाथ के इशारे से रोक कर, पूछ ही बैठा,'"  ए भैया, का मामला है? तुम्हारे थैला में समाधान की जगह कुछ और ही मालूम पड़ रहा है!.."
                    "हां आ !जाओ और तुम भी जा कर ले आओ, जो हम लाए हैं!.. दुकान मालिक तुमसे भी वही बोलेगा जो हमसे बोला है!... उस व्यक्ति का उत्तर, नश्तर लगाए फोड़े से पीब की तरह निकल पड़ा!..
                      "क्या बोला बे ,वह मालिक !"मजदूर ने खींझते हुए उस व्यक्ति का कालर पकड़ लिया !..
   "अरे अरे यह क्या कर रहे हो? धोबी से तो जीत ना पाए और गधे का कान पकड़ रहे हो !..कालर छोड़ो!.. लो देख लो.... समाधान का स्टॉक दुकान में  नहीं है उसकी जगह आश्वासन लेना पड़ा !..मरता क्या न करता !.तो उसी को लेकर लौट आए !..जाओ और तुम भी ले आओ अपने कोटे का आश्वासन!.." कहते हुए वह आदमी तो चलता बना और उधर लंबी कतार से थोड़ा अलग हटे हुए उस मजदूर का चेहरा ,राम जाने, भूख से तमतमा उठा अथवा उस व्यक्ति से हुए वार्तालाप से किंतु इस पूरे दृश्य को दुकान मालिक के एक खैरख्वाह नौकर,  शाही ने कैमरे की आंख सा कैद कर लिया था !..प्रतिक्रिया स्वरुप वह मालिक के प्रति अपनी वफादारी का सबूत देने के उद्देश्य से ,उस मजदूर के पास,गुलेल से छूटे कंकड़ सा, पहुंच गया और नये ब्लेड की धार सा ,तेज होते हुए बोला," क्यों वे! लाइन तोड़कर दुकान का अनुशासन  भंग करता है!..ला   पहले तेरा ही राशन कार्ड देख लूं,राशन वाशन तो बाद की चीज है!.."
         " क्यों !क्या मेरा राशन कार्ड जाली लग रहा है आपको !.."मजदूर ने उपयुक्त टिकट लेकर यात्रा कर रहे यात्री सा निर्भीक हो कर पूछा!..
             "अरे जाली है या असली !"इसका फैसला तो एरिया इंस्पेक्टर आयोग सिंह करेगा !..जा फूट यहां से !..जब दो चार साल में एरिया का आयोग सिंह तेरे राशन कार्ड के बारे में अपनी रिपोर्ट देगा तभी तुझे आश्वासन भी मिल सकेगा उससे पहले कदापि नहीं पर घबराना मत आश्वासन का स्टाफ हमारे पास इतना है कि वह दो,चार छ: क्या तीस- चालिस साल तक भी खत्म नहीं होने का!" कहकर उस नौकर,  शाही ने मजदूर के राशन कार्ड की प्रविष्टियां नोट करने के बाद कार्ड उसे ही पकड़ा दिया !..
           काफी समय गुजर गया!.. , सुना है इस बीच उस दुकान का आवंटन किसी अन्य व्यक्ति को कर दिया गया किंतु वह मजदूर आज भी अपनी समस्याओं के राशन कार्ड पर ऊपर से रिपोर्ट आने की प्रतीक्षा में है और जीवित भी है!..



@ दिनेश रस्तोगी ( पू. प्राचार्य)
  8- बी,अभिरूप 
साउथ सिटी 
शाहजहांपुर--242226 उ.प्र.
मो.08423260918